लंदन: स्वीडिश एकेडमी ने साहित्य के नोबेल पुरस्कार का ऐलान किया. इस बार साहित्य के नोबेल पुरस्कार से हंगरी के लास्जलो क्रास्जनाहोरकाई को सम्मानित किया गया है. यह अवॉर्ड उन लेखकों को मिलता है, जिन्होंने शानदार किताबें या कविताएं लिखकर साहित्य में खास योगदान दिया है. नोबेल एकेडमी ने पुरस्कार की घोषणा कर कहा कि क्रास्जनाहोरकाई की रचनाएं बहुत प्रभावशाली और दूरदर्शी हैं. वे दुनिया में तबाही और डर के बीच भी कला की ताकत को दिखाती हैं. लास्जलो मध्य यूरोपीय परंपरा के एक महाकाव्य लेखक हैं, जो काफ्का से थॉमस बर्नहार्ड तक फैली हुई है और उनकी विशेषता बेलौसपन है.
उनका पहला उपन्यास सैटानटैंगो 1985 में प्रकाशित हुआ था और हंगरी में उन्हें एक लेखक के तौर पर साबित करने में कामयाब रहा. यह उपन्यास, साम्यवाद के पतन से ठीक पहले, हंगरी के ग्रामीण इलाके में एक बंजर खेत पर रहने वाले बेसहारा निवासियों के समूह पर केंद्रित था. कमिटी ने बताया कि उनकी किताबों में दर्शन होता है। कुल मिलाकर लास्जलो डीप थिंकिंग वाली उदास कहानियां लिखने के लिए मशहूर हैं. उनकी किताबें सैटानटैंगो और द मेलांकली ऑफ रेसिस्टेंस पर फिल्में भी बन चुकी हैं। विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (10.3 करोड़ रुपए), सोने का मेडल और सर्टिफिकेट मिलेगा. अगर एक से ज्यादा को मिलता है, तब प्राइज मनी उनके बीच बंट जाती है। पुरस्कार 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में दिए जाएंगे.
(स्रोत: एक्सप्रेस मीडिया सर्विसेज)
संकलन: कालीदास मुर्मू, संपादक आदिवासी परिचर्चा।
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