प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण
प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण (पीएमएवाई - ग्रामीण) 20 नवंबर 2016 को शुरू की गई, जिसका लक्ष्य समाज के सबसे गरीब वर्गों के लिए आवास प्रदान करना था. लाभार्थियों का चयन कठोर तीन-चरणीय सत्यापन प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है जिसमें सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी 2011) और आवास+ (2018) सर्वेक्षण, ग्राम सभा अनुमोदन और जियो-टैगिंग शामिल है। इससे सुनिश्चित होता है कि सहायता सबसे योग्य व्यक्तियों तक पहुंचे। इस योजना में कुशल निधि संवितरण के लिए आईटी और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) को भी शामिल किया गया है. इसने विभिन्न निर्माण चरणों में जियो-टैग की गई तस्वीरों के माध्यम से क्षेत्र-विशिष्ट आवास डिजाइन और साक्ष्य-आधारित निगरानी भी लागू की है.
मूल रूप से 2023-24 तक 2.95 करोड़ मकानों को पूरा करने का लक्ष्य रखते हुए, इस योजना को 2 करोड़ और मकानों के साथ बढ़ाया गया, जिसमें वित्त वर्ष 2024-29 के लिए ₹3,06,137 करोड़ का कुल परिव्यय और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ₹54,500 करोड़ का आवंटन किया गया.
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 9 अगस्त, 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मैदानी क्षेत्रों में 1.20 लाख रुपये और पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों एवं पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 1.30 लाख रुपये की मौजूदा इकाई सहायता पर दो करोड़ और मकानों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
पीएमएवाई-जी के तहत प्रगति:
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत सरकार ने 3.32 करोड़ मकान बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। 19 नवंबर, 2024 तक, 3.21 करोड़ मकानों को मंजूरी दी गई है, और 2.67 करोड़ मकान पूरे हो चुके हैं, जिससे लाखों ग्रामीण परिवारों की रहने की स्थिति में काफी सुधार हुआ है.
इस योजना में महिला सशक्तीकरण पर भी विशेष ध्यान दिया गया है, जिसमें 74% स्वीकृत मकानों का स्वामित्व पूरी तरह से या संयुक्त रूप से महिलाओं के पास है. यह योजना अब महिलाओं को 100% स्वामित्व प्रदान करने की आकांक्षा रखती है। कुशल रोजगार भी प्राथमिकता रही है। लगभग 3 लाख ग्रामीण राजमिस्त्रियों को आपदा-रोधी निर्माण में प्रशिक्षित किया गया है, जिससे उनकी रोजगार क्षमता में वृद्धि हुई है.
दो करोड़ से अधिक परिवारों के लिए मकानों के निर्माण से लगभग दस करोड़ व्यक्तियों को लाभ होने की उम्मीद है. इस मंजूरी से बिना आवास वाले सभी लोगों और जीर्ण-शीर्ण और कच्चे घरों में रहने वाले लोगों के लिए सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ अच्छी गुणवत्ता वाले सुरक्षित मकानों के निर्माण की सुविधा मिलेगी। इससे लाभार्थियों की सुरक्षा, स्वच्छता और सामाजिक समावेशन सुनिश्चित होगा.
(स्रोत: पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार।)
संकलन: कालीदास मुर्मू, संपादक,आदिवासी परिचर्चा।
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