जनजातीय योजना: वनोत्पादों और उत्पादन के विकास और विपणन के लिए संस्थागत सहायता

 



इस योजना के तहत, राज्य जनजातीय विकास सहकारी निगमों (एसटीडीसीसी) और भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (ट्राइफेड) जो जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत एक बहु-राज्य सहकारी है सहायता अनुदान प्रदान किये जाते हैं ।

कार्यक्षेत्र (स्कोप) :

उत्पादन, उत्पाद विकास, पारंपरिक धरोहरों के संरक्षण, जनजातीय जनसंख्या की वन और कृषि दोनों उपज के लिए सहायता, उपर्युक्त गतिविधियों को चलाने के लिए संस्थानों को सहायता, बेहतर बुनियादी अवसंरचनाओं का प्रावधानों के लिए विभिन्न जनजातियों से संबंधित लोगों को व्यापक समर्थन देना। डिजाइन तैयार करना, मूल्यों और उत्पाद खरीदने वाली एजेंसियों के बारे में जानकारी का प्रसार, सतत विपणन के लिए सरकारी एजेंसियों को सहायता प्रदान करना करती हैं और इसके द्वारा उचित मूल्य व्यवस्था सुनिश्चित करना।

योजना का उद्देश्य:

अपनी आजीविका के लिए विपणन और विकास की गतिविधियों हेतु सहायता प्रदान करने के लिए अनुसूचित जनजातियों के लिए संस्थाएँ बनाना । इन्हें (i) बाजार से संबद्ध प्रयास; (ii) जनजातीय कारीगरों, शिल्पकारों, एमएफपी एकत्रकर्ता आदि के प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन; (iii) आर एंड डी / आईपीआर क्रियाकलाप; और (iv) आपूर्ति श्रृंखला अवसंरचना विकास जैसे विशिष्ट उपायों द्वारा प्राप्त करने की अपेक्षा की जाती हैं ।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वन उपज (एमएफपी) का विपणन और एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास”

यह योजना अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों से संबंधित लोगों को जिनकी आजीविका एमएफपी के संग्रहण और बिक्री पर निर्भर करती है, बहुत आवश्यक सुरक्षा कवच और सहायता प्रदान करने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा वर्ष 2013-14 में आरम्भ की गयी।

कार्यक्षेत्र (स्कोप) :

इस योजना का प्रयोजन संग्रह, प्राथमिक प्रसंस्करण, भंडारण, पैकेजिंग, परिवहन आदि में अपने प्रयासों के लिए उचित मौद्रिक प्रत्यागम (लाभ) सुनिश्चित करने के लिए एक प्रणाली स्थापित करना है। इसमें यह भी अपेक्षा की जाती है कि उन्हें बिक्री आय से लागत कटौती के बाद राजस्व का एक हिस्सा भी प्राप्त हो। इसका उद्देश्य प्रक्रिया की स्थिरता के लिए अन्य मुद्दों का समाधान करना है। योजना में चुनिंदा एमएफपी के न्यूनतम समर्थन मूल्य के निर्धारण और घोषणा की परिकल्पना की गई है। पूर्व निर्धारित एमएसपी पर खरीद और विपणन का संचालन नामित राज्य एजेंसियों द्वारा किया जाएगा। इसके साथ ही, स्थायी एकत्रण, मूल्य संवर्धन, बुनियादी अवसंरचनात्मक विकास, एमएफपी के ज्ञान के आधार पर संवर्धन, बाजार आसूचना विकास ग्राम सभा / पंचायत के सौदेबाजी अधिकार को सुदृढ़ करना जैसे अन्य माध्यम और दीर्घकालिक मुद्दों का, भी संबोधित किया जाएगा।

उद्देश्य:

मुख्य रूप से स्थानीय स्तर पर आवश्यक बुनियादी अवसंरचनाओं के साथ उनके द्वारा एकत्र किए गए चिन्हित एमएफपी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वनोपज (एमएफपी) एकत्रणकर्ताओं के लिए उचित प्रत्यागम (लाभ) सुनिश्चित करना।

2.1 “वन धन विकास कार्यक्रम (वीडीवीके) "(एमएसपी के माध्यम से एमएफपी के विपणन के लिए तंत्र और एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास" योजना के तहत एक पहल)

‘वन धन विकास कार्यक्रम’ (वीडीवीके), न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वन उत्पाद (एमएफपी) के विपणन के लिए तंत्र और एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास नामक योजना के तहत एक पहल है। जिसका लक्ष्य वन्य निधि अर्थात वन धन का दोहन करते हुए जनजातियों के लिए आजीविका सृजन करना है। कार्यक्रम का उद्देश्य प्रत्येक स्तर पर इसके उन्नयन के लिए प्रौद्योगिकी और आईटी को जोड़ते हुए पारम्परिक ज्ञान हासिल करना और जनजातियों के बौद्धिक ज्ञान को एक व्यवहार्य आर्थिक गतिविधि में बदलना है ।

इस कार्यक्रम के तहत, मुख्य रूप से जनजातीय जिलों में जनजातीय समुदाय के स्वामित्व वाले लघु वन उपज केन्द्रित बहुउद्देश्यीय केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव है। ये केंद्र स्थानीय स्तर पर उपलब्ध लघु वनोपज के अलावा खरीद-सह-मूल्य के लिए सामान्य सुविधा केंद्र के रूप में कार्य करेंगे। कच्चे माल में मूल्य संवर्धन से एमएफपी के मूल्य में और परिणामस्वरूप आयोजकों की आय में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है ।

‘वन धन विकास कार्यक्रम’ की प्रमुख विशेषताएं:
  • जनजातीय एकत्रणकर्त्ताओं की आजीविका सृजन और उन्हें उद्यमी बनाने के लिए लक्ष्यित प्रयास।
  • आइडिया मुख्य रूप से वनाच्छादित जनजातीय जिलों में वन धन विकास केन्द्रों (वीडीवीके) के स्वामित्व वाले जनजातीय समुदाय को स्थापित करना इसका उद्देश्य है।
  • एक केंद्र 15 जनजातीय एसएचजी का गठन करेगा, जिनमें प्रत्येक में 20 जनजातीय एनटीएफपी एकत्रणकर्त्ता या कारीगर अर्थात लगभग 300 लाभार्थी प्रति वन धन केंद्र होंगे ।
  • वन धन विकास कार्यक्रम के केन्द्रों की स्थापना की 100% लागत जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा वहन की जानी है, जिसके लिए राशि ट्राइफेड के माध्यम से उपलब्ध करायी जाएगी।
3. “राष्ट्रीय / राज्य अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (एनएसटीएफडीसी / एसटीएफडीसी) को इक्विटी सहायता

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (एनएसटीएफडीसी) सरकार का एक पूर्ण स्वामित्व वाला सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, जिसे जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा 100% इक्विटी शेयर पूंजी योगदान प्रदान किया जाता है। निगम की अधिकृत शेयर पूंजी 750.00 करोड़ रुपये है। एनएसटीएफडीसी के मुख्य उद्देश्य हैं:-

  • अनुसूचित जनजातियों से संबद्ध महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियों की पहचान करना ताकि स्वरोजगार का सृजन हो और उनकी आय का स्तर बढ़ सके।
  • संस्थागत और नौकरी प्रशिक्षण के माध्यम से अपने कौशल और प्रक्रियाओं को उन्नत करने के लिए।
  • मौजूदा राज्य / केन्द्र शासित प्रदेशों के अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (एससीए) और अनुसूचित जनजातियों के आर्थिक विकास में संलिप्त अन्य विकासात्मक एजेंसियों को और अधिक प्रभावी बनाना ।
  • परियोजना निर्माण में एससीए की सहायता करना, एनएसटीएफडीसी सहायता प्राप्त योजनाओं के कार्यान्वयन और उनके कर्मियों को प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • एनएसटीएफडीसी सहायता प्राप्त योजनाओं के कार्यान्वयन में उनके प्रभाव का आकलन करने के लिए निगरानी करना।
एनएसटीएफडीसी, अनुसूचित जनजातियों के स्व-रोजगार के लिए योजनाओं का कार्यान्वयन करता है:
  • सावधि ऋण योजना: एनएसटीएफडीसी प्रति इकाई रु. 25.00 लाख तक की लागत वाली किसी भी व्यवहार्य आय सृजन योजना के लिए सावधि ऋण प्रदान करता है।
  • आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना (एएमएसवाई): इस योजना के तहत, अनुसूचित जनजाति की महिलाएं ₹ 1 लाख प्रति यूनिट तक की लागत वाली कोई भी व्यवहार्य आय सृजन गतिविधि आरंभ कर सकती हैं।
  • स्व-सहायता समूहों के लिए माइक्रो क्रेडिट योजना: निगम प्रति स्व सहायता समूह (एसएचजी) को ₹ 5 लाख और प्रति सदस्य 50,000/- तक ऋण प्रदान करता है।
  • आदिवासी शिक्षा ऋण योजना (शिक्षा ऋण): इस योजना के तहत, अनुसूचित जनजाति के छात्रों का भारत में, पीएचडी सहित व्यावसायिक / तकनीकी शिक्षा ग्रहण करने के लिए 6 % की रियायती दर पर 10.00 लाख तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
         ( स्रोत:-  जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के सौजन्य से) 

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