स्थानीय भाषा और मातृ भाषा में शिक्षा से जनजातीय आबादी सशक्त बनेगी: श्री धर्मेंद्र प्रधान

 


केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज
 नई दिल्ली में  जनजातीय लोगों के सशक्तिकरण पर मीडिया को संबोधित किया. उन्होंने जनजातीय आबादी के उत्थान और उसके सशक्तिकरण में हुई प्रगति के लिए सरकार की तरफ से की गई विभिन्न पहलों के बारे विस्तृत जानकारी दी.

श्री प्रधान ने कहा कि यह संवाददाता सम्मेलन समग्र सरकार के दृष्टिकोण के क्रम में है जो राष्ट्रीय प्राथमिकताओं की दिशा में सामूहिक प्रयास पर जोर देता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी देश की जनजतायी आबादी को बहु प्रतीक्षित सम्मान दे रहे हैं. उन्होंने जनजातीय आबादी के कल्याण के उद्देश्य से केंद्र प्रायोजित योजनाओं के वित्तपोषण में भारी बढ़ोतरी के बारे में बात की. उन्होंने कहा, जनजातीय लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए सकारात्मक कदम और समावेशन को बढ़ावा देना सरकार की नीति के प्रमुख क्षेत्रों में शामिल हैं. एसटीसी कोष के लिए आवंटन 2022-23 में बढ़कर 87,585 करोड़ रुपये हो गया, जो 2014-15 में 19,437 करोड़ रुपये के स्तर पर था. वहीं, जनजातीय कार्य मंत्रालय के लिए आवंटन भी बढ़कर 2022-23 में 8,407 करोड़ रुपये हो गया, जो 2014-15 में 3,832 करोड़ रुपये के स्तर पर था. आवंटन में बढ़ोतरी पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सरकार के लिए 'सबका साथसबका विकाससबका प्रयासकेवल एक नारा नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक दर्शन और एक जिम्मेदारी पूर्ण प्रतिबद्धता है. उन्होंने यह भी कहा कि यह उनकी संस्कृति की रक्षाउनकी पहचानशिक्षास्वास्थ्यस्वरोजगार का सम्मान सहित पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जनजातीय आबादी के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 


शिक्षा के बारे में बोलते हुए
उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषाओं और मातृभाषा में शिक्षा पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में खासा जोर दिया गया हैजिसमें जनजातीय आबादी एक प्रमुख लाभार्थी होगी। उन्होंने जनजातीय आबादी के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के बारे में भी बतायाजिसमें 1 लाख से अधिक छात्र नामांकित हैं.

प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई)’ का उल्लेख करते हुएश्री प्रधान ने कहा कि इसके तहत कम से कम 50 प्रतिशत जनजातीय आबादी वाले 36,428 गांवों को शामिल करने की परिकल्पना की गई है. इसका उद्देश्य ज्यादा जनजातीय आबादी वाले गांवों को आदर्श गांव (आदर्श ग्राम) में बदलना है. इस योजना का उद्देश्य मिशन मोड में इन गांवों में बुनियादी जरूरतें और सुविधाएं उपलब्ध कराना है. इसके तहत अगले 5 वर्षों तक सालाना 7,500 गांवों को लिया जाएगा.

सरकार वन धन केंद्र योजना के तहत जनजातीय स्वयं सहायता समूहों के लिए आजीविका सुनिश्चित कर रही है, जिसमें एमएसपी के तहत आने वाली 87 लघु वनोपज वस्तुएं (एमएफपी)स्फूर्ति के तहत आने वाले 273 जनजातीय समूह शामिल है. केंद्रीय मंत्री ने बताया, प्रधानमंत्री का जोर मोटे अनाज को प्रोत्साहन देने पर है, जिसमें पोषक खुराक मिलती है और ये मुख्य रूप से जनजातीय क्षेत्रों में पैदा होते हैं. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर हाल में घोषित अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष को जनजातीय आबादी के सशक्तिकरण में अभी लंबा सफर तय करना है, जो मोटे अनाज की खेती में मुख्य रूप से योगदान करती हैं.

संकलन:-  कालीदास मुर्मू संपादक आदिवासी परिचर्चा।

Post a Comment

0 Comments