संविधान दिवस विशेष: डॉक्टर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर- लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता

 


आधुनिक भारत के नव निर्माण में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की अग्रणी भूमिका रही है, जिसके परिणाम स्वरूप आज विश्व में अपने को गौरवान्वित महसूस कर रही है. बाबासाहेब ने अपने अंतिम सांस तक यानी 6 दिसंबर 1956 तक समाज को शोषित पीड़ित से मुक्त कराने शोषित एवं महिलाओं को पशुता भरे  जीवन से मुक्ति दिलाने के लिए अविरल अथक संघर्ष किया. बाबासाहेब डॉक्टर अंबेडकर ने भारत की समस्त जनता को स्वतंत्रता, समता, न्याय और बंधुता पर आधारित संविधान दिया. 

डॉ आंबेडकर ओम मनु स्मृति के स्थान पर लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्ष समाजवादी संविधान की रचना की. जिसका लक्ष्य सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक न्याय, समता, स्वतंत्रता और मातृत्व पर आधारित सम्मान पूर्वक जीवन प्रदान करना है. के लिए उन्होंने प्रजातांत्रिक समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, गणतंत्र जैसे मूल मंत्र दिए. 

डॉक्टर अंबेडकर ने एक और संविधान में व्यक्ति के विकास के लिए अधिकार प्रदान किए हैं दूसरी और उनका लक्ष्य राष्ट्र की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण बनाए रखने का भी रहा है. व्यक्ति का कहीं देश के उत्कर्ष में बाधक  ना बन जाए इसलिए समता  और बंधुत्व पर बल दिया गया है. प्रजातंत्र तभी सफल हो सकता है जब समाज के प्रत्येक व्यक्ति के मन में वह मातृत्व की भावना उत्पन्न कराने में सफल हो सके. प्रत्येक व्यक्ति अपने को एक ही मातृभूमि की संतान समझे तथा बिना किसी धार्मिक जातीय भेदभाव के दूसरे के प्रति स्नेह सहयोग की भावना से व्यवहार करें. संयुक्त राष्ट्र संघ के मानव अधिकार घोषणा पत के अनुच्छेद 1 में उपबंध है कि प्रत्येक मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है और उसे प्रतिष्ठा अधिकार समान रूप से प्राप्त है. प्राणी नाम के प्रति उससे बंधुत्व की भावना रखनी चाहिए. इसीलिए बाबासाहेब अंबेडकर ने भारत के संविधान में समाजवादी लोकतंत्र तथा कल्याणकारी राज्य की व्यवस्था की है. 

बाबासाहेब ने संविधान में "हम भारत के लोग" शब्द का प्रयोग किया है. उन्होंने जनता को शक्ति का स्रोत माना है. बाबासाहेब ने जनता की, जनता द्वारा, जनता के लिए सरकार की कल्पना की समाजवाद लोकतंत्र को अपनाया. जिसके महान उद्देश्य भारत के संविधान की प्रस्तावना में परिलक्षित होते हैं. भारत की जनता को निम्नलिखित अधिकार दिलाना है:- 

क) सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय।

ख) विचार, अभिव्यक्ति, धर्म, विश्वास,और उपासना की स्वतंत्रता।

ग) प्रतिष्ठा और समान अवसर की समानता ।

घ) व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए बंधुत्व। 

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने संविधान, समाज और विश्व पर अपनी विद्वत्ता की अमिट छाप छोड़ी है. वे महान व्यक्तित्व, देशहितैषी, लोकतंत्र के हामी, धर्म निरपेक्षता के जनक, संसदीय जनतंत्र और लोकतांत्रिक समाजवाद तथा सामाजिक लोकतंत्र के अन्वेषक थे. भारत में बाबासाहेब ने वैज्ञानिक लोकतंत्र की स्थापना की, कार्ल मार्क्स की  भक्ति पश्चिमी दार्शनिकों से हटकर बुद्ध की नैतिकता, सहिष्णुता, पंचशील,समता को अपनाया तथा सामाजिक, आर्थिक, समता स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए भातृत्व भाव पर बल दिया. 

 कालीदास मुर्मू, संपादक, आदिवासी परिचर्चा।

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