जनजातियों के लिए संविधान में शिक्षा एवं सांस्कृतिक सुरक्षा संबंधी विशेष प्रावधान।

 


भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 (4) में जनजातियों के उन्नति के लिए विशेष व्यवस्था किया जाता है। एवं अनुच्छेद 29 के अनुसार अनुसूचित जनजातियों में संताल,हो,मुण्डा एवं उरांव समुदायों को अपनी भाषा एंव लिपि जैसे - संतालों का ओलचिकी,हो का वाराङक्षिति, एंव उरांव का तोलोङसिकि का प्रचार-प्रसार एंव विद्यालय, महाविद्यालय एंव विश्व विद्यालय में पठन-पाठन का  भी व्यवस्था इन लिपियों में किया जा रहा है। झारखण्ड सरकार ने प्रारंभिक स्तर तक के लिए इस लिपि में पाठ्य पुस्तकें का भी निर्माण किया गया है। संताली के ओलचिकी लिपि में तो अभी झारखण्ड लोक सेवा आयोग एवं संघ लोकसेवा आयोग के परीक्षा में भी लिखने की अनुमति हुई हैं। साथ ही अनुच्छेद 350(A) के अन्तर्गत प्रत्येक राज्य का प्रयास करना है, कि अपने राज्य के भीतर रहने वाले सभी नागरिकों को उनकी मातृभाषा में प्राथमिक स्तर तक बच्चों को शिक्षा प्रदान करें। इस संबंध में झारखण्ड सरकार ने सभी भाषाओं - संताली,मुण्डारी, उरांव एंव खडिया जनजाति के लोग अपना लिपि में प्रथम से पंचम स्तर तक NCERT का पाठ्य पुस्तकोंका छपाई कर शिक्षा विभाग का सभा बढ़ा रही है। इन भाषाओं में पढ़ाई करने की आस में बच्चे प्रतिक्षारत है। हालांकि इस विषयों की कुछ शिक्षको की वहाली  उच्च विद्यालय में 2019 में  हुई है। अभी भी पद रिक्त पड़ीं हुई हैं। जिसमें नियुक्ति करने की आवश्यकता है। 

अनुच्छेद 347- राज्य के भीतर किसी वर्ग की जनसंख्या के अनुसार बोली जाने वाली भाषाओं को मान्यता सम्पूर्ण या किसी क्षेत्र के लिए मान्यता दे सकता है।यदि राष्ट्रपति जनता की मांग पर संतुष्ट हो जाते है, कि उस भाषा कि बोलने वाले लोग अधिक संख्या में व्यवहार कर रहे हैं,तो राज्य सरकार उस राज्य के लिए मान्यता दे सकता है ।


Post a Comment

0 Comments