कोरोन आपदा में शुरू हुई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से 2028 तक गरीबों को मिलेगा हर माह मुक्त अनाज

 


नई दिल्ली : केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत देशभर में करोड़ों गरीबों को हर माह मुफ्त राशन मिल रहा है. 5 जुलाई 2013 को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम विधेयक लोकसभा में पेश हुआ था, जबकि 10 सितंबर 2013 से कानून लागू हुआ. अधिनियम लागू होने के बाद पीडीएस के तहत गेहूं और चावल की कीमत तय की गई थी. लेकिन मोदी सरकार जब से सत्ता में आई तब से इन सभी की दरों में इजाफा नहीं हुआ बल्कि इनकी कीमतें कम कर के साल 2023 से शून्य कर दी गई. मतलब अब गेहूं और चावल एकदम मुफ्त दिया जा रहा है.

 साल 2020 में कोरोना महामारी ने दुनिया को झकझोर दिया था, तब लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई और लाखों लोगों के रोजगार छिन गए. तब प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत की गई थी.  शुरू में यह एनएसएफए की नियमित सब्सिडी के ऊपर अतिरिक्त 5 किलो अनाज मिलता था. उस समय लोगों को दोहरी सुविधा मिल रही थी यानि एनएसएफए वाला सस्ता राशन + (पीएमजीकेएवाई) वाला अतिरिक्त मुफ्त राशन मिल रहा था. बाद में दोनों को मिलाकर 2023 से पूरी तरह मुफ्त किया गया. इसके तहत लगभग 80 करोड़ लोगों को हर महीने 5 किलो मुफ्त अनाज चावल या गेहूं दिया जाने लगा था. यह राहत देश की सबसे बड़ी फूड सिक्योरिटी पहल बन गई.

कोरोना संकट खत्म होने के बाद सवाल उठ रहा था कि क्या योजना को बंद किया जाएगा, लेकिन केंद्र सरकार ने आगे बढ़ाने का फैसला लिया. 1 जनवरी 2024 से अप्रैल 2028 तक यह योजना लागू रहने वाली है, ऐसा सरकार का कहना है. केंद्र सरकार का अनुमान है कि इस पीरियड में करीब 81 करोड़ लोगों को फ्री राशन मिलता रहेगा. इसके लिए केंद्र सरकार ने लगभग 11.80 लाख करोड़ रुपये का बजट तय किया है. योजना के तहत अंत्योदय अन्न योजना में परिवारों को हर माह 35 किलो मुफ्त अनाज मिलता है, जबकि प्राथमिकता परिवारों को प्रति सदस्य पांच किलो अनाज मिलता है. 

संकलन: कालीदास मुर्मू संपादक आदिवासी।

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