नई दिल्ली: भारत की परमाणु नीति ‘नो फर्स्ट यूस’ यानी पहले परमाणु हमला नहीं करने की है. यानी राहत देने वाली है. 2003 में घोषित इस नीति के तहत भारत तभी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा जब उस पर परमाणु हमला होगा. जवाबी हमला “मैसिव” यानी व्यापक और अस्वीकार्य नुकसान पहुंचाने वाला होगा. यह निर्णय केवल भारत के नागरिक नेतृत्व- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली ‘न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी’ द्वारा लिया जा सकता है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अमेरिका और रूस अब भी दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु ताकतें हैं. इनके पास 5,459 और 5,177 हथियार हैं. चीन इस समय सबसे तेजी से अपना परमाणु भंडार बढ़ा रहा है. चीन के पास अभी 600 के करीब परमाणु हथियार हैं. अगले दशक तक उसके पास अमेरिका या रूस के बराबर अंतर-महाद्वीपीय मिसाइलें होने की संभावना है.
रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की शुरुआत तक भारत के पास अनुमानित 180 परमाणु हथियार हैं, जबकि 2024 में यह संख्या 172 थी। वहीं, पाकिस्तान के पास अब भी 170 परमाणु हथियार हैं. सिपरी हर साल नए आंकड़ों के आधार पर विश्व की परमाणु ताकतों की सूची अपडेट करता है. इस बार की रिपोर्ट खास इसलिए भी है. क्योंकि यह मई 2025 में भारत द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के कुछ ही हफ्तों बाद आई है. उस ऑपरेशन में भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकियों और सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए थे. पहलगाम में पाकिस्तान के आतंकियों ने 26 निर्दोष हिंदू टूरिस्टों की हत्या कर दी थी. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक मिसाइल, ड्रोन और लड़ाकू विमानों से टकराव चला.
पूरी दुनिया में परमाणु बम के लिए होड़ मची हुई है. इसीलिए इजरायल ने परमाणु बम बना रहे ईरान पर हमला किया.
इजरायल के हमले में परमाणु सुविधा के साथ-साथ ईरान के कई वैज्ञानिकों और खास लोगों की जान चली गई. वहीं, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान के पास परमाणु बम की चर्चा हो रही थी. सवाल ये उठता है कि भारत और पाकिस्तान में से किसके पास ज्यादा परमाणु हथियार हैं ? तो इस रहस्य से भी पर्दा हट चुका है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की सालाना रिपोर्ट सोमवार को जारी किया गया था.
भारत के निशाने पर केवल पाक नहीं:
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की परमाणु रणनीति अब सिर्फ पाकिस्तान तक सीमित नहीं है. सिपरी ने बताया, ‘पाकिस्तान अब भी भारत की परमाणु प्रतिरोधक नीति का मुख्य केंद्र बना हुआ है, लेकिन भारत अब उन हथियारों पर भी ध्यान दे रहा है, जो चीन तक पहुंच बना सकें. भारत के परमाणु मिसाइलों की रेंज 250 किलोमीटर से लेकर 5,500 किलोमीटर तक है, जो चीन में घुसकर हमला कर सकते हैं. भारत ने हाल ही में खुद को जमीन, आसमान और समंदर में परमाणु प्रतिरोधक ढांचे को और मज़बूत किया है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत आमतौर पर शांति काल में अपने परमाणु हथियार लॉन्चर से अलग रखता है, लेकिन अब भारत कुछ हथियारों को लॉन्चर के साथ जोड़े रखने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है.
(स्रोत: एक्सप्रेस मिडिया सर्विस)
संकलन: कालीदास मुर्मू, संपादक आदिवासी परिचर्चा ।
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