संतालियों के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा है लुगुबुरु


लुगुबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगाढ़  संताल आदिवासियों की  आस्था और विश्वास का सबसे बड़ा केंद्र है. यह उनके धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा है. इस पवित्र धार्मिक स्थल के समग्र विकास पर 30 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संताल सरना धर्म महासम्मेलन  में इसकी घोषणा की. उन्होंने कहा कि इस राशि से यहाँ  सौंदर्यीकरण के साथ पहाड़ तक जाने के लिए सड़क, लाइब्रेरी, शौचालय समेत अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी.

मुख्यमंत्री ने सपरिवार पूजा अर्चना की

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सपरिवार लुगुबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगाढ़ , ललपनिया, बोकारो में लुगु बाबा की  विधि- विधान से पूजा अर्चना कर राज्य की उन्नति -सुख -समृद्धि- शांति -सद्भाव और खुशहाली की कामना की. मुख्यमंत्री के यहां स्थापित भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की.

जनजातीय व्यवस्था के बेहतर संचालन के लिए गांवों में बनेगा आखड़ा


मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी बाहुल्य गांव में जनजातीय परंपराओं को बनाए रखने के लिए आखड़ा  बनाने की योजना सरकार बना रही है. यहां मानकी, मुंडा, परगनैत,  मांझी शासन व्यवस्था का संचालन बेहतर तरीके से हो सकेगा. उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय के सभी पूजा स्थलों- सरना  स्थलों की घेराबंदी की जाएगी.

वर्षों के बाद भव्य और विशाल आयोजन

मुख्यमंत्री ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से 2 सालों तक पूरी दुनिया की सारी व्यवस्थाएं ठप्प हो गई थी.  इस वजह से  कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लुगु बाबा के दरबार में पूजा अर्चना करने हेतु श्रद्धालु नहीं आ सके थे.  लेकिन, इस बार लुगू बाबा के दर्शन और आराधना के साथ अंतरराष्ट्रीय संताल सरना महासम्मेलन में देश -विदेश से लाखों की संख्या में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ यह बताने के लिए काफी है कि उनमे लुगू बाबा के प्रति कितनी आस्था है. हम विरासत में मिली इस परंपरा, रीति -रिवाज को और मजबूत करने के  साथ आगे ले जाने का संकल्प लें.

आदिवासियों को जागरूक और मजबूत होना होगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि कम शिक्षित होने की वजह से आदिवासी समुदाय अपने हक और अधिकार से वंचित रह जाता है. आदिवासी समाज को आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक समेत हर दृष्टिकोण से मजबूत होना होगा. उन्हें अपने हक और अधिकार के लिए जागरूक होना पड़ेगा. तभी वे आगे बढ़ सकते है. आदिवासी समाज सशक्त और जागरूक होगा तो उनकी आने की पीढ़ी तरक्की के नए आयाम स्थापित करेगी.  मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी, दलितों और अन्य वंचित वर्गो और तबकों के विकास के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है.

 विरासत में मिली इस परंपरा, रीति -रिवाज को और मजबूत करने पर दिया जोर


मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अवसर पर उन्होंने कहा कि विरासत में मिली इस परंपरा रीति रिवाज को मजबूत करने की आवश्यकता है तथा आने वाले पीढ़ियों को इसे रूबरू कराते हुए इसके प्रति जागरूकता करने पर बल देने की जरूरत है. वर्तमान समय में दुनिया जिस तेजी से बदल रही रही है इससे आदिवासी समाज अछूता नहीं है. अमल यह है कि सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र में भी आधुनिकता की  चकाचौंध दुनिया ने अपनी और आकर्षित किया है. इससे आदिवासी समाज को आने वाले दिनों में संकट उठाना पड सकता है. तो हमें अपनी विरासत को किसी भी सूरत में मजबूत करने की संकल्प लेना होगा.

सांस्कृतिक और पारंपरिक व्यवस्था की  अक्षुण्णता ही हमारी पहचान

मुख्यमंत्री आह्वान किया की हमारी संस्कृति और परंपरा दुनिया की सबसे बड़ी पहचान है. हम प्रकृति पूजक हैं और उनके उपासक भी हैं इस प्रकार की संस्कृति शायद  ही विश्व में देखने को मिलते हैं. हमें इस बात की गर्म होने चाहिए कि हम उस समुदाय से हैं जो प्रकृति के संरक्षक में से एक है. इसलिए हमें संस्कृति और परंपरा व्यवस्थाओं की अक्षुण्णता बनाए रखते हुए अपनी पहचान को जीवित रहने की आवश्यक है. 

सरकार की योजनाओं का लाभ लें 

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार कई जनकल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं। आप सभी इन योजनाओं से जुड़े और लाभ लें।  आप आगे बढ़ेंगे तो समाज और राज्य भी आगे बढ़ेगा।  मेरा मानना है कि अगर आदिवासी समुदाय सशक्त और स्वावलंबी बन जाए तो उन्हें अपने और अपने भाषा संस्कृति को जीवित रखने में मददगार साबित होगी.

कालीदास मुर्मू, संपादक आदिवासी परिचर्चा।

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