झारखंड में शासकीय राजभाषा संताली ही क्यों !


संताल भारत वर्ष के आदि एवं मूल निवासी हैं. मुलत: संताल अनार्यों थे. भारत में विभिन्न प्रदेशों में इन्हें संताल,सॉवताल, एवं मांझी के नाम से भी जानते हैं. किन्तु संताल अपना परिचय होड़ से भी देते हैं. एवं अपनी भाषा को होड़ रोड ( ओल चिकि लिपि) यानी होड़ लोगों की भाषा मानते हैं. किन्तु सरकारी दस्तावेजों में संताल नामकरण ही मान्यता दिया गया है. परन्तु संताल को भारतीय संविधान में अनुसूचित जनजाति के सूची में रखा गया है. संताल भाषा-भाषी के लोग पुर्वी भारत के राज्यों एवं क्षेत्रों में निवास करते हैं. लगभग भारत में इनकी आबादी डेढ़ करोड़ है. विदेशी में भी इनकी जनसंख्या बहुत अधिक है. इस लिहाज़ से संताली एक अन्तर्राष्ट्रीय भाषा ही है. 

संताली अस्ट्रिक भाषा परिवार के एक प्रमुख भाषा है. इनकी लोक कथा, लोकगीत, लोक कहानी, शब्दकोश, व्याकरण, शब्द रचनाओं एवं कला संस्कृति को देखकर य सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि संताली भाषा से पहले भी कभी शिष्ट- संताली साहित्य की रचना हुई होंगी ? 

संस्कृत सभी आर्यों भाषाओं की श्रोत है. संताली अस्ट्रिक भाषा परिवार का भाषा है. किंतु दोनों दो भाषा परिवार के भाषा होने पर भी संस्कृत एवं संताली भाषा की व्याकरण संपूर्ण रुप से एक जैसे हैं, लगता है प्राचीन काल में दोनों भाषा परिवार एक दूसरे से घनिष्ठता का संबंध रहा होगा ? 

संताली आग्नेय (अस्ट्रिक) परिवार के प्रमुख भाषा है एवं जनजाति भाषा में सबसे उन्नत एवं प्रगतिशील भी है. इस भाषा के अनेक सहोदर भाषाएं हैं, उनमें प्रमुख है- हो, मुंडारी, खड़िया एवं विरहोड़ इत्यादि है. इसीलिए अस्ट्रिक भाषा परिवार की सभी भाषा भाषी के लोग एक दूसरे की भाषा को सहज एवं आसानी से बोल और लिख सकते हैं. संताली मुख्यत: बांग्ला, उड़िया, हिंदी, असमी की विकसित राज्य की भाषा के संपर्क एवं सानिध्य में रहने से प्राय: संताली द्वि- भाषी भी होते हैं. 

झारखंड के संदर्भ में देखा जाए तो राज्य में ऑस्ट्रिक भाषा परिवार के लोगों की निवास स्थल झारखंड में है. 2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड राज्य की कुल आबादी 3,29,88,134 है. झारखंड की सर्वप्रमुख भाषा हिन्दी है. इससे झारखंड में राजभाषा होने का गौरव प्राप्त है. यहां हिन्दी बोलने की संख्या सबसे अधिक है. कुल   जनसंख्या की लगभग से 2 करोड़ 70 लाख लोग हिंदी बोलते हैं. वहीं दूसरी ओर 2011 के अनुसार संतालों की जनसंख्या 27,54,723 है.जो झारखंड की कुल जनजातीय ‍की आबादी की 31हैं. उरांव भाषी के लोगों की ‍‍‍ संख्या लगभग 17.16 लाख, मुण्डा करीबन 12.29 तथा आदिम जनजाति की लगभग 2.92 है. जनगणना के उपरोक्त तगड़े से यह स्पष्ट हो जाता है कि झारखंड राज्य में हिंदी भाषा भाषी जनसंख्या के बाद सबसे अधिक संताली बोलने वाले लोगों की संख्या है. इस हैसियत से झारखंड में जनसंख्या एवं प्रगतिशील उन्नत भाषा के आधार पर संताली को प्रथम राजभाषा का स्थान मिलना चाहिए था. 


संविधान के अनुच्छेद- 345 के अनुसार राज्य विधान सभा एक या एक से अधिक भाषा को राज्य की सरकारी कार्यालय की भाषा के रूप में मान्यता दे सकती है. इस अनुच्छेद के आधार पर भी संताली  भाषा को झारखंड राज्य में स्थान सुनिश्चित हो. जनजाति भाषा को राज्य की शासकीय भाषा बनने से झारखंड राज की पहचान और अस्मिता बने रहेंगे. इसके अतिरिक्त भारतीय संविधान में नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार दिया गया है, उनमें अनुच्छेद- 29(1) एवं संवैधनिक अधिकार  अनुच्छेद -350 (क) के  अन्तर्गत क्रमानुसार अपनी भाषा, लिपि एवं संस्कृति को बनाए एवं बजाएं रखने की मौलिक अधिकार है. तथा माध्यमिक विद्यालय के स्तर तक अपनी मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने का विशेष अधकार है. 

कालीदास मुर्मू, संपादक, आदिवासी परिचर्च।

Post a Comment

0 Comments