झारखंड त्योहार-मेला: आदिवासी साफा होड़ की आस्था का केंद्र है, सीतापुर गर्म कुंड मेला ।


झारखंड उन राज्यों में शुमार है, जहां पर्व, त्योहार और मेलाओं महत्व प्राचीन काल से परम्परागत रूप से चली आ रही है. ऐसे ही झारखंड में मनाए जाने वाले कुछ मेलाओं का चर्चा इस आलेख में करेंगे. 

गर्म जल कुंड मेला: झारखंड राज्य के पाकुड़ जिले के पाकुड़िया प्रखंड अंतर्गत स्थित सीतापुर गर्म जल कुंड में हर साल 14 जनवरी को बड़े धूमधाम के साथ मेरा आयोजित किया जाता है.इस मौके पर आदिवासी समाज के साफा होड़ समुदाय के लोग हजारों की संख्या में पूजा के लिए गर्म जल कुंड में स्थल पर पहुंचते हैं. आदिवासी रीति-रिवाजों, परंपराओं से आदिवासी समाज के साफा होड़ समुदाय के पुरुष व महिला भगवान सूर्य की पूजा करते हैं. इसमें गैर आदिवासी समाज के हिन्दू भी गर्म कुंड में पूजा के लिए पहुंचते हैं. 

क्या है गर्म कुंड:- दरअसल सीता गर्म कुंड एक मृत ज्वालामुखी है, जो कभी  जागृत हुआ करता था. इतिहास के पन्नों पर अध्ययन करने से पता चलता है कि इस गर्म कुंड का संबंध सिंधु घाटी सभ्यता से मिलती है. इतिहास के जानकार बताते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता के समय लोग उन सभी चीजों की पुजा करते थे.  जिन्हें वे समझ नहीं पाते थे. ऐसी चीजों की पूजा अर्चना किया करते थे. उदाहरण स्वरुप सिंधु घाटी सभ्यता के दौर में अमावस्या की काली रात के बाद पूर्णिमा की चांदनी उन्हें सुकून देती थी. ऐसे में वे पूर्णिमा के उजाले के महत्व को समझते हुए उसकी पूजा करते थे. वहीं ज्वालामुखी भी उसकी समझ से बाहर और जानलेवा थी. ऐसे में भगवान की पूजा अर्चना कर  ज्वालामुखी को शांत करने का प्रयास किया करते थे. साथ ही साथ अपने इष्ट देव को अर्घ्य अर्पित करते थे. 
जामताड़ा का करमदाहा मेला:- जामताड़ा जिले के नारायणपुर का प्रसिद्ध करमदाहा मेला खेती-बाड़ी,किसनी पर आधारित है. प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर लगने वाली यह मेला कभी एक महीना भर चलती थी. जो अब घटकर 15 दिनों का हो गया है. इस मेले में किसान हल, लोहे के समान, घरेलू सामान आदि खरीदते हैं. इस मेले में जामताड़ा जिले के अलावे देवघर के मधुपुर, गिरिडीह के गांडेय एवं धनबाद जिले के टुंडी, गोविंदपुर के लोग मेला देखने और खरीदारी करने पहुंचते हैं.
फतेहपुर का रास मेला:- पुरानी परंपरा को जीवित रखा है फतेहपुर का रास मेला. फतेहपुर में आज भी पुरानी परंपरा देखने को मिलती है. यहां कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर प्रति बर्ष 15 दिवसीय रास मेला का आयोजन किया जाता है. इस मेले में विभिन्न प्रकार के बिजली संचालित झूले, बच्चों के लिए आकर्षक झूला, बंगाल के मालपुआ एवं मीना बाजार विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है. विभिन्न प्रकार के देवी देवताओं की प्रतिमाएं एवं जागरूकता संबंधी झांकी लगाती जाती है.पौषमास की पूर्णिमा तिथि में देवी देवताओं की विधिवत पूजा होती है.


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