जाने पंचवीं अनुसूची क्षेत्र के ग्रामसभा के बारे में।

 


"पेसा" के तहत ग्राम सभा एक ऐसी निकाय है यानी गई है, जो एक निश्चित भु-भाग, गांव,टोला या टोली में रहकर अपनी रीति-रिवाजों, नीतियों, संस्कृति और परंपरा का निर्वाह करने वाले समुदाय या समुदायों के समूह के सभी सदस्यों की प्रत्यक्ष भागीदारी सुनिश्चित करती है। किसी भी विषय पर ग्रामसभा के विमर्श में गांव के सभी सदस्यों यानी गांव में रहने वाले तमाम लोगों की भागीदारी का अधिकार सुनिश्चित होगा। इस भागीदारी का अर्थ है, बच्चे- बच्चों, किशोर- किशोरीयों को भी शामिल होने का अधिकार होगा। निर्णय लेने का अधिकार गांव के सभी वयस्यकों को होगा। 

ग्रामसभा का गठन :-  पंचायत उपबंध ( अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम , 1996 एवं झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम 2001 के अध्याय- 2, धारा- 3(iii) के तहत साधारण राजस्व ग्राम में केवल एक एक ग्रामसभा का गठन ग्रामसभा का गठन हो सकता है। परन्तु अनुसूचित क्षेत्र के राजस्व ग्राम में एक या एक से अधिक ग्रामसभा का गठन किया जा सकता है। यदि आवास या आवासों का समूह छोटे गांव या खोला का समूह हो, जिसमें समुदाय हो और जो परंपरा एवं रूढ़ियों के अनुसार अपने कार्यकलाप का प्रबंधन करता हो।

आदिवासी क्षेत्र के किसी भी गांव/टोला/ मुहल्ला आदि में ग्रामसभा का गठन किया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले गांव के सभी लोगों को बैठक कर यह प्रस्ताव पास करना होगा कि इस गांव /टोला के लोग अपने यहां पेसा कानून के अंतर्गत एक ग्रामसभा का गठन करते हैं।यह प्रस्ताव के साथ उस गांव या खोला या आवासीय समूह की जनसंख्या एवं परिवार संख्या का विवरण भी साथ में लिखकर एस.डी.एम. को दिया जाएगा। 

 

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