पंचवीं अनुसूची में पेसा कानून यानी पंचायत उपबंध अधिनियम 1996 के बारे में संक्षिप्त परिचय।


 पेसा एक कानून- भारतीय संविधान के 73 वें संशोधन अनुच्छेद 243 'ङ' के प्रावधान के आलोक में केंद्र सरकार के द्वारा गठित भूरिया कमेटी के  प्रतिवेदन के आधार पर भारतीय संसद के द्वारा 24-12-1996 को अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन व्यवस्था को प्रभावी ढ़ंग से लागू के लिए " पेसा कानून " यानी पंचायत उपबंध ( अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1996 बनाया और लागू किया गया। पांचवीं अनुसुचित क्षेत्रों की पंचायतों के लिए बने इस अधिनियम को " पेसा कानून" कहा जाता है। 

पेसा अधिनियम का अर्थ:- पेसा अधिनियम अंग्रेजी के चार शब्द  PESA से मिलकर बना है। जिसका पूरा नाम है - The Panchayat Extension to Schedule Area Act. ( PESA).  इसे हिन्दी में पंचायत - उपबंध अधिनियम ( अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1996 कहा जाता है। 

पेसा अधिनियम का महत्व:-  विकेंद्रीकृत स्वाशासन का मुख्य उद्देश्य गांव के लोगों का स्वयं अपने उपर शासन करने का अधिकार देना है। ऐसा विकेंद्रीकृत शासन के लिए एक संस्थागत ढांचे की आवश्यकता होती है। तथा साथ ही साथ ढांचे के भीतर अधिकार और शक्तियों का आवंटन जरुरी है। पेसा कानून ग्रामीण समुदाय को शासन की इकाई के रूप में मान्यता है।और पंचायत राज संस्थाओं की विभिन्न स्तर पर स्थापना का उल्लेख करता है। 

पेसा कानून 6 मूल तरीके से पंचायती राज संस्थाओ को मजबूत बनाने का कार्य करता है:- 

क) परम्परागत कानुनों सामाजिक और धार्मिक प्रथाओं और सामुदायिक संसाधनों की परंपरागत प्रबंधन तकनीकों को आदिवासी जीवन में केंद्रीय भूमिका की पहचान करना और उन्हें अनुसूचित  क्षेत्रों में स्वाशासन की बुनियाद सिद्धांत बनाना। यह सिद्धान्त गांव की परिभाषा में स्पष्ट होता है। अधिनियम गांव को एक निवास स्थान जिसे समुदाय बनाता है, के रुप में परिभाषित करता है और उसके क्रियाकलापों को परंपरा तथा रीति-रिवाजों के मुताबिक प्रबंधन करता है । 

ख) कुछ शक्तियों में ग्राम सभा का एकाधिकार देकर उन शक्तियों सामाजिक और आर्थिक विकास की विकासात्मक योजनाओं, कार्यक्रामों और परियोजनाओं के अनुमोदन का अधिकार, गरीबी उन्मूलन और अन्य कार्यक्रमों के लिए लाभार्थियों का चयन व ग्राम पंचायत द्वारा लागू की जाने वाली योजनाओं और परियोजनाओं के लिए उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी का अधिकार शामिल हैं। 

ग) पंचायतों की उपयुक्त संयंत्र के लघु जल निकायों के प्रबंधन और योजना बनाने का एकाधिकार ।

घ) ग्राम सभा या पंचायत के उपयुक्त संयंत्र से विकासात्मक परियोजनाओं के लिए अधिग्रहण तथा ऐसी परियोजनाओं से प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास और खनिज से संबंधित विशेष अधिकार।

ङ) ग्राम सभा या पंचायत के उपयुक्त स्तर को ऐसी शक्तियों या अधिकार देकर सशक्त बनाया जो आदिवासियों के जीवन के लिए अत्याधिक महत्त्वपूर्ण है। इसमें शामिल है :- मादक द्रव्य के सेवन व बिक्री पर प्रतिबंध लघु वनोपज का मालिकाना हक, अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि हस्तांतरण पर रोक, सामाजिक क्षेत्रों संस्थाओं और पदाधिकारियों पर नियंत्रण साहूकारी पर नियंत्रण और संसाधनों पर नियंत्रण।

च) अनुसूचित जाति सदस्यों के लिए अनुपात प्रतिनिधित्व तथा आरक्षण को आवश्यक बनाना।


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