झारखण्ड के महापुरुष: कोल गुरु लको बोदरा

 


'हो' भाषा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार लको बोदरा का जन्म 19 सितंबर,1919 को झारखंड में हुआ। उन्होंने चाईबासा के जिला उच्च विद्यालय से हाई स्कुल की परीक्षा पास की। वे विलक्षण प्रतिभा और कुशाग्रबुद्धि वाले विद्यार्थि थे। उन्होंने 'हो' आदिवासी समुदाय की वाचिक भाषा-साहित्य के विकास के लिए एक सांस्कृतिक संस्थान की स्थापना की और प्राचीन 'हो' साहित्य को संजोने का काम किया। उन्होंने पंजाब के जालंधर सिटी कालेज से बीएससी और उसके बाद होम्योपैथी की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 1940 के आसपास उन्होंने " हो" समाज की प्राचीन लिपि " वारंग चिति" को खोज निकाला और इसी नई लिपि में गद्य- पद्य की अनेक पुस्तकें लिखीं। वे एक बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ी और बांसुरी वादक भी थे। 29 जून 1986 को उनका निधन हो गया।

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